महर्षि कश्यप ने यज्ञ कराया और इसके फलस्वरूप प्रियव्रत की पत्नी गर्भवती हो गईं लेकिन नौ महीने बाद रानी ने जिस पुत्र को जन्म दिया वह मरा हुआ पैदा हुआ. यह देख प्रियव्रत और रानी अत्यंत दुखी हो गए.
संतान शोक के कारण राजा ने पुत्र के साथ ही श्मशान पर स्वयं के प्राण त्यागने व आत्महत्या करने का मन बना लिया. जैसे ही राजा ने स्वयं के प्राण त्यागने की कोशिश की वहां एक देवी प्रकट हुईं, जो कि मानस पुत्री देवसेना थीं.