इस साल छठ पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर 2022 से शुरू होकर 31 अक्टूबर 2022 को उषा अर्घ्य यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगी.  छठ पर्व सूर्य देव और प्रकृति से जुड़ा पर्व है जो कि वैदिक काल से मनाया जा रहा है.

महाभारत और रामायण में भी छठ पर्व का वर्णन मिलता है. कहा जाता है कि पांडव जब सारा राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रोपदी ने चार दिनों तक इस व्रत को किया था.  कुछ कथाओं के अनुसार माता सीता ने छठ पर्व को संपन्न किया था.

पुराणों में छठ पर्व की शुरुआत और महत्व को लेकर इसी तरह की कई कथाएं मिलती हैं.  लेकिन राजा प्रियव्रत से जुड़ी छठ पर्व की कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है.  कहा जाता है कि इस कथा को जानने के बाद ही आप छठ व्रत के महत्व को भी भलि-भांति समझ पाएंगे.

छठ पर्व से जुड़ी राजा प्रियव्रत की कथा छठ पर्व की पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी. इसे लेकर राजा और उसकी पत्नी दोनों हमेशा दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ राजा और उसकी पत्नी महर्षि कश्यप के पास पहुंचे.

महर्षि कश्यप ने यज्ञ कराया और इसके फलस्वरूप प्रियव्रत की पत्नी गर्भवती हो गईं लेकिन नौ महीने बाद रानी ने जिस पुत्र को जन्म दिया वह मरा हुआ पैदा हुआ. यह देख प्रियव्रत और रानी अत्यंत दुखी हो गए. संतान शोक के कारण राजा ने पुत्र के साथ ही श्मशान पर स्वयं के प्राण त्यागने व आत्महत्या करने का मन बना लिया. जैसे ही राजा ने स्वयं के प्राण त्यागने की कोशिश की वहां एक देवी प्रकट हुईं, जो कि मानस पुत्री देवसेना थीं. 

देवी ने राजा से कहा कि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं. उन्होंने कहा ‘मैं षष्ठी देवी हूं’. यदि तुम मेरी पूजा करोगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करोगे तो मैं पुत्र रत्न प्रदान करूंगी.